
श्रद्धावान लभते ज्ञानं अर्थात् "जो श्रद्धावान होता है, वह ज्ञान प्राप्त करता है।" यह उद्धरण भारतीय दार्शनिक और ज्ञानी चाणक्य द्वारा कहा गया है। श्रद्धा एक महत्वपूर्ण गुण है जो समर्पण, आस्था और आदर्शों की भावना को दर्शाता है। यह वाक्य बताता है कि जब हम अपने कामों में श्रद्धा और समर्पण लाते हैं, तब हम सच्चे ज्ञान को प्राप्त करते हैं। इसलिए, यह वाक्य हमें ज्ञान की प्राप्ति के लिए श्रद्धा की महत्ता को समझाता है।